परम पूज्य परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के बारे में...      (Click here for English)

निजधाम वासी परम पूज्य बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी परम पूज्य परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के बारे में जानकारी
परम पूज्य परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश (भारत) के एक छोटे से गाँव में हुआ। धार्मिक परिवार में पालन-पोषण हुआ। बाल्यावस्था से ही आध्यात्मिक रुचि के कारण पढ़ाई पूर्ण होते ही सन् 1973 में खिंचकर बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के पास पहुँचे, नामदान लिया और गुरु आदेशानुसार सेवा व भजन कार्य में लग गए। शुरू में गुरु के पास रहते तथा बीच-बीच में थोड़े समय के लिए गाँव जाकर माता-पिता की सेवा करते रहे और सन् 1976 से बाबा उमाकान्त जी महाराज साये की तरह अपने गुरु बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के साथ बराबर लगे रहे।

गुरु की इतनी दया हुई कि अपनी हर तरह की नजदीकी सेवा तो बाबा उमाकान्त जी महाराज को दिया ही साथ ही साथ पूरे देश में सतसंग करने के लिए चिट्ठियों में इस तरह से लिख करके भेजा, “उमाकान्त तिवारी को भेज रहा हूँ, समझ लेना मैं ही आ रहा हूँ।”

सन्तमत की यह परंपरा रही है कि वक्त के सन्त सतगुरु चोला छोड़ने से पहले आध्यात्मिक कार्य करने के लिए अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करके जाते हैं। अतः शरीर छोड़ने से लगभग पाँच साल पहले ही, 16 मई 2007 को बशीरतगंज, जिला- उन्नाव (उत्तर प्रदेश) के सतसंग में, बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने चालीसों साल शरण में रहे अपने परम शिष्य 'बाबा उमाकान्त जी महाराज' को, अपने न रहने के बाद पुराने प्रेमियों की संभाल करने तथा नए प्रेमियों को नामदान देने की घोषणा कर दी थी। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के शब्दों में - "कभी भी हम आयेंगे अब वो अपने लिए। परमार्थ के लिए, नये लोगों के लिए, जो नये आयेंगे लेंगे नाम तो ये 'उमाकान्त तिवारी' और पुराने जो नामदानी हैं वो भी ये सम्हाल करते रहेंगे। जो भूले भटके ये बता देंगे और भजन ध्यान करायेंगे। समझ गये! याद करते रहिये और बराबर याद रखना तो हम आपकी यहाँ भी सम्हाल करते रहेंगे... और नया कोई आएगा कि हमको भी चाहिए नामदान, तो ये बता देंगे और भजन, ध्यान उससे करायेंगे। सीधा सादा समझ गये।"

बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के मथुरा आश्रम पर शरीर छूटने के बाद विषम परिस्थिति में बाबा उमाकान्त जी महाराज सब कुछ छोड़कर खाली हाथ उज्जैन (मध्य प्रदेश) आ गए, जहाँ प्रेमियों के सहयोग से आश्रम बनाया व 'बाबा जयगुरुदेव धर्म विकास संस्था, उज्जैन' की स्थापना की। गुरु के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए पूरे देश में प्रचार-प्रसार तथा गुरु के इस दुनिया से जाने के दुःख को बांटने के लिए जगह-जगह पर सतसंग किया, लोगों को समझाया, बताया कि गुरु महाराज तो शरीर से चले गए लेकिन शब्द रूप में आपके साथ हैं। जब आप सुमिरन, ध्यान, भजन मन को रोककर लगातार करने लगोगे तो आपको उसी तरह से अंतर में दर्शन होगा जैसे बाहर करते थे और जब आदेश का पालन लोगों ने करना शुरू किया तो भौतिक और आध्यात्मिक लाभ मिलने लग गया। बहुत से लोग बाबा उमाकान्त जी महाराज के साथ जुड़ गए। साथ ही साथ लाखों लोग नामदान लेने के लिए तरसने लगे क्योंकि एक समय पर केवल एक मौजूदा सन्त को ही नामदान देने का अधिकार होता है। पूरे देश में घूमते-घूमते बाबा उमाकान्त जी महाराज जयपुर की धरती पर पधारे और दिनांक 21 जुलाई 2013 को ऐलान किया कि कल सुबह यहीं पर नामदान होगा। यह सुनते ही सभी प्रेमियों ने 'जयगुरुदेव' नाम का जोरदार जयघोष किया। आगे महाराज जी (पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज) ने फरमाया कि गुरु महाराज की दया रहेगी तो आगे संगत बहुत बढ़ेगी। अभी आपने कुछ नहीं देखा। संस्कारी जीवों पर दया हुई और बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने गुरु के आदेश से गुरु पूर्णिमा 22 जुलाई 2013 को जयपुर (राजस्थान) में विशाल जनसमूह की उपस्थिति में खुले मंच से नामदान देना प्रारंभ कर दिया।

बाबा उमाकान्त जी महाराज अपने गुरु के पद चिन्हों पर चलते हुए देश-विदेश में घूम-घूम कर के लोगों को शाकाहारी, नशामुक्त, मेहनतकश, चरित्रवान, देशभक्त रहने का उपदेश तो कर ही रहे हैं साथ ही साथ गृहस्थ आश्रम में रहते हुए मनुष्य रूपी मंदिर यानी जिस्मानी मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा में ही प्रभु के दर्शन-दीदार करने का तरीका बता रहे हैं। अपने गुरु का मिशन अर्थात इस धरा पर सतयुग लाने, गौ हत्या, मानव हत्या, पशु-पक्षी की हत्या बंद कराने और लोगों को शाकाहारी, सदाचारी तथा नशामुक्त बनाकर आत्म कल्याण कराने के काम में निरंतर लगे हुए हैं। परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज अभी तक करोड़ों लोगों को नामदान दे चुके हैं, जिसकी साधना करने से लौकिक और पारलौकिक दोनों प्रकार के लाभ का अनुभव लोगों को हो रहा है।

परम पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज के जीव हितकारी वचन


⮞ सच्चे सन्त के दर्शन, सतसंग और आशीर्वाद से नहीं बनने वाला काम भी बन जाता है।
⮞ जीव के मुक्ति-मोक्ष व जन्म-मरण की पीड़ा से मुक्त करने का उपाय वक्त गुरु के पास ही होता है।
⮞ विवेकशील, बुद्धिजीवियों को भारत के आध्यात्मवाद को जगाते रहना चाहिए।
⮞ जीव हत्या करके पैसा कमाने वाला कोई भी देश कभी तरक्की नहीं कर सकता है।
⮞ अब ऐसा समय आ गया है कि आप सब लोग शाकाहारी, चरित्रवान, नशे से मुक्त, देशप्रेमी, धर्मप्रेमी बनकर कुदरती कहर का मुकाबला करो, नहीं तो अस्तित्व ही मिट जाएगा।
⮞ किसी भी जाति, धर्म व धार्मिक पुस्तक की निंदा, अपमान मत करो। सभी के दिल में प्यार - मोहब्बत का जज्बा पैदा करो।
⮞ ध्यान दें ! बच्चे और बच्चियों में नशे की आदत व चरित्र का गिरना भारत जैसे धार्मिक देश के लिए खतरनाक होगा।
⮞ बच्चे-बच्चियों का ध्यान रखो। इनमें नशाखोरी या चरित्रहीनता आयेगी तो समझ लो नाश ही हो जायेगा।
⮞ आजमाइश करके देख लो जयगुरुदेव नाम प्रभु का ही है। जब मुसीबत में आदमी देवी-देवता फरिश्ते मददगार नहीं होंगे तब यह जयगुरुदेव नाम शाकाहारी,चरित्रवान, नशामुक्त लोगों के लिए मददगार होगा।
⮞ बीमारी व तकलीफों में आराम देने वाला नाम ’’ जयगुरुदेव ’’
जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव की ध्वनि रोज सुबह-शाम बोलिए और परिवार वालों को बोलवाइए फिर फायदा देखिए।
⮞ इंसान को दान, बुद्धिदान, गौदान, कन्यादान व मतदान बहुत सोच समझ कर सुपात्र को देना चाहिए।
⮞ शाकाहारी, नशामुक्त, चरित्रवान की बुद्धि व सोच समझ सभी लोगों के लिए हितकारी होती है।
⮞ समय ऐसा आएगा की मजबूर होकर लोग शाकाहार अपनाएंगे।
⮞ एक ऐसा भी समय आएगा कि देश के सभी मंत्री, एम.एल.ए, एम.पी व अधिकारी कर्मचारी शाकाहारी नशा मुक्त, सेवाभावी व देशभक्त होंगे।
⮞ तेज नशे का सेवन करने वाला मनुष्य दीन-दुनिया का सुख कभी नहीं भोग सकता है।
⮞ माता-पिता, बूढ़े, बुजुर्गों, अधिकारी, कर्मचारी सभी का सम्मान करो।